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आदि गुरु शंकराचार्य

स्वामी दर्शन भारती

पौड़ी गढ़वाल के एक छोटे से गाँव सुराल में जन्मे हमारे स्वामी दर्शन भारती जी ने अपने जीवन को समाज की सेवा में समर्पित किया है। बचपन में ही देहरादून आने के बाद उन्होंने उत्तराखंड आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और इसके बाद निरंजनी अखाड़े में साधु के रूप में दीक्षित होकर ज्ञान की उच्चतम डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्हें कश्मीर में बढ़ते आतंकवाद के खिलाफ शांति और न्याय की लड़ाई लड़ने के लिए बुलाया गया, जहां उन्होंने लगभग एक दशक तक काम किया। उत्तराखंड लौटकर उन्होंने हिमालयी क्षेत्र में पलायन और धार्मिक परिवर्तन को रोकने के लिए काम किया, साथ ही अवैध भूमि अधिग्रहण के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी, जो लैंड जिहाद, लव जिहाद और स्मैक जिहाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। उनकी इस निस्वार्थ सेवा ने उन्हें समाज में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया है।
स्वामी दर्शन भारती

हम देवभूमि को एक बेहतर जगह बनाकर रहेंगे

स्वामी दर्शन भारती का यूट्यूब चैनल धर्म और समाज के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा और हिंदू धर्म के रक्षक के रूप में उनकी भूमिका को समर्पित है। यहां आपको धर्म और संस्कृति के विषयों पर आधारित ज्ञानवर्धक वीडियो मिलेंगे, जिनमें स्वामी जी का विशेष ध्यान हिंदू धर्म की रक्षा, संस्कृति का संरक्षण, और भारतीय समाज के जागरण पर केंद्रित है। उनका संदेश स्पष्ट और सशक्त है: अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा करें, और अपने जीवन को एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाएं 

हम देवभूमि को एक बेहतर जगह बनाकर रहेंगे

स्वामी दर्शन भारती का यूट्यूब चैनल धर्म और समाज के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा और हिंदू धर्म के रक्षक के रूप में उनकी भूमिका को समर्पित है। यहां आपको धर्म और संस्कृति के विषयों पर आधारित ज्ञानवर्धक वीडियो मिलेंगे, जिनमें स्वामी जी का विशेष ध्यान हिंदू धर्म की रक्षा, संस्कृति का संरक्षण, और भारतीय समाज के जागरण पर केंद्रित है। उनका संदेश स्पष्ट और सशक्त है: अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा करें, और अपने जीवन को एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाएं 

हमारी जिम्मेदारियाँ

गंगा सफाई

गंगा नदी उत्तराखंड में हिमालय से निकलकर यह भारत के लगभग एक-चौथाई भू-क्षेत्र से प्रवाहित होती हुई बंगाल की खाड़ी में मिलती है। गंगा नदी को उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था का मेरुदण्ड भी कहा गया है। उत्तराखंड में गंगा नदी का धार्मिक महत्व बहुत ज़्यादा है. गंगा नदी को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदी माना जाता है. गंगा नदी के तट पर कई तीर्थस्थल हैं. गंगा नदी के जल का इस्तेमाल धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है भारत की अनेक धार्मिक अवधारणाओं में गंगा नदी को देवी के रूप में निरुपित किया गया है। गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सारे पापों का नाश हो जाता है। मरने के बाद लोग गंगा में अपनी राख विसर्जित करना मोक्ष प्राप्ति के लिये आवश्यक समझते हैं, यहाँ तक कि कुछ लोग गंगा के किनारे ही प्राण विसर्जन या अंतिम संस्कार की इच्छा भी रखते हैं। गंगा नदी का धार्मिक महत्व सम्भवत: विश्व की किसी भी अन्य नदी से ज़्यादा है। आदिकाल से ही यह पूजी जाती रही है

हिमालय पर्यावरण

प्राचीन काल से ही हिमालय को तपस्वियों और दार्शनिकों के लिए अभयारण्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। हिमालय हिंदू धर्म में भी एक केंद्रीय स्थान रखता है। उत्तराखंड में हिमालय को अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यह क्षेत्र चार धाम (केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) और पंचकेदार जैसे तीर्थस्थलों का केंद्र है, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखते हैं। गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों का उद्गम भी यहीं से होता है, जो भारतीय संस्कृति और आस्था का आधार हैं। कैलाश मानसरोवर को भगवान शिव का निवास माना जाता है, जबकि ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे स्थान योग, ध्यान और आध्यात्मिक साधना के केंद्र हैं। हिमालय की शांत और दिव्य वातावरण भक्तों को आंतरिक शांति और ईश्वर की अनुभूति कराता है। धार्मिक ग्रंथों में इसे देवताओं और ऋषि-मुनियों की तपस्थली के रूप में वर्णित किया गया है, जो इसे अद्वितीय आध्यात्मिक महत्व प्रदान करता है।

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